लोग कहानी को एक पूर्वधारणा से पढ़ते हैं तो निष्कर्ष तय हो जाता है मन मे।
कहानी को खुले दिमाग से पढ़ने की जरूरत होती है।
एक खलनायक की कहानी जब खलनायक की परिस्थितियों से आंकी जाए तो बाकी सभी किरदारों से अत्यधिक महत्त्वपूर्ण हो जाती है।
नायक बनना आसान है, हमेशा की तरह किन्तु नायक के सहायक सभी पात्र को देखना, समझना टेढ़ी खीर जैसा है क्योंकि हर पात्र अपनी कहानी का नायक होता है। चाहे किसी और की कहानी का क्षण भर का ही खलनायक क्यों ना हो
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