Saturday, 15 May 2021

लोरी

थक जाती है गुड़िया रानी,
जबसे हुई ये बड़ी सयानी,
तुम चुपके चुपके आया करो,
इसको लोरी सुनाया करो

ये जब थककर सो जाएगी
तो ही मुझको नींद आएगी

इसके सपनो में आकर
इसको खिलौने दे जाना
इसके सिरहाने पर तुम
ख़्वाब सुहाने दे जाना

ये मेरी गुड़िया रानी है
अकल से बड़ी सयानी है

रातों को जब उठ जाती है
फिर माँ कहकर बुलाती है
मैं जाउँ दौड़कर जब भी
मुझको जोरों से गले लगाती है

एक दिन नैनों की बगिया
सपनों से जब भर जाएगी
तब मेरी गुड़िया रानी को
नींद कहाँ फिर आएगी

चंदा भी देखेगा इसको
जिससे अभी हवा शर्माती है
मेरी लाडो रानी को पर
सूरज की किरणें भाटी है

एक दिन ये भी चमकेगी
बुलंद आसमान के ऊँचे पर
निंदिया रानी थक जाएंगी
जब पहुँचेगी गुड़िया ऊंचे पर

फिर कहाँ मैं गुड़िया तेरे
माथे पर हाथ रख पाऊंगी
अभी सुला लेती हूँ तुझको
फिर कहाँ सुला मैं पाऊंगी

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